माँ दुर्गा महिषासुर मर्दिनी


सदइच्छाओं के महायोग से 


अंतःचेतनाओं के अद्भुत संयोग से 


आत्मशक्तियों के अनन्य प्रयोग से


सुप्त पड़े जाग उठे मैंमयी उद्योग से


प्रस्फुटित प्रचंड अकल्पय शक्तिशाली


कामनाओं के अभेद्य दुर्ग को ध्वस्त करने


निकल पड़ी कालजई उर्जा ही 


माँ दुर्गा है


 


आसुरी प्रवृत्तियों पर


अनियंत्रित मनोवृत्तियों पर


अमानवीय आवृत्तियों पर


महिष आरोहित अनियंत्रित


तमसमुखी गतिविधियों पर


जाग उठी हाहाकारी विजय प्रवर्तनी


प्रकाशमयी अंतःचेतना ही


महिषासुर मर्दिनी है...


 


-डॉ.एम.डी.सिंह , पीरनगर


Comments