इंदौर। पुरुषों के विपरीत, महिलाओं को हर माह जैविक रूप से चलने वाले दर्द के एक ऐसे चक्र से गुजरना पड़ता है, जो काम में असुविधा का कारण बनता है। अधिकांश समय, उन्हें इससे संबंधित छुट्टी को बीमारी की छुट्टी के रूप में छिपाना पड़ता है। यदि हम गौर करें, तो वर्कप्लेस पर दी जाने वाली मेंस्ट्रुअल लीव सभी फीमेल एम्प्लॉयीज़ को सुकून और आराम दे सकती है, जिससे कि वे इस समय के दौरान स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकें और घर पर आराम कर सकें। वर्कप्लेस पर सिक लीव से परे फीमेल एम्प्लॉयीज को मेंस्ट्रुअल लीव दिया जाना वास्तव में एक अनोखी पहल है।
बायलोएप हमेशा से ही वर्कप्लेस के माहौल को बेहतर करने के लिए सार्थक कदम उठाने हेतु प्रतिबद्ध है। इसे सर्वोपरि रखते हुए वर्कप्लेस की प्रोडक्टिविटी और बेहतरी को बढ़ाने के क्षेत्र में कार्य करने के साथ ही, प्लेटफॉर्म ने फीमेल एम्प्लॉयीज़ के सामने आने वाली समस्याओं को कम करने पर गहन विचार किया। इस प्रकार, सभी फीमेल एम्प्लॉयीज़ को 12 दिनों की पेड मेंस्ट्रुअल लीव देने की अनूठी पहल के साथ, स्टार्टअप ने कंपनी को अधिक एम्पथेटिक वर्कप्लेस बनाने के लिए शानदार उड़ान भरी है।
मेंस्ट्रुएशन एक ऐसी चीज है, जिससे जुड़ी समस्याओं पर चर्चा करने में महिलाएं सामान्य तौर पर असहज महसूस करती हैं, पीरियड लीव जैसी पहल आम छुट्टी से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। ऑर्गेनाइजेशन ऐसे तमाम मुद्दों को गंभीरता से लेने के लिए प्रखर है। इसके साथ ही महिलाओं को मेंस्ट्रुएशन के संबंधित बात करने के दौरान शर्म या झिझक महसूस करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
स्टार्टअप कंपनी के रूप में यह प्लेटफॉर्म, फीमेल एम्प्लॉयीज़ को मेंस्ट्रुअल लीव प्रदान करने वाला भारत का पहला हाइपरलोकल मार्केटप्लेस सर्च इंजन और मध्य भारत का पहला स्टार्टअप बन गया है। बाइलोऐप समाज में सार्थक बदलाव लाने और समस्याओं के उचित समाधान प्रदान करने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा कर रहा है।
बायलोएप के फाउंडर तथा सीईओ, रोहित वर्मा के अनुसार, "मेंस्ट्रुएशन को आज भी अचर्चित विषय माना जाता है। हमें लगता है कि फीमेल एम्प्लॉयीज़ की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए वर्कप्लेसेस में अब बड़ा बदलाव करना बेहद आवश्यक है। दर्द प्राकृतिक कारणों की प्रतिक्रिया है और इस पर चर्चा करते हुए शर्मिंदगी महसूस नहीं करना चाहिए। महिलाओं के हित में उठाये गए इस सार्थक कदम से हम स्वयं को बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।"
वे आगे कहते हैं, "हम इस पॉलिसी को शुरू करने पर मिलने वाली सभी तरह की प्रतिक्रियाओं के लिए तैयार थे, और मेरे लिए वास्तव में यह बहुत खुशी की बात है, जब हमारे परिसर में सभी ने इस पहल को सकारात्मक रूप से स्वीकार किया। इसने हमारी फीमेल एम्प्लॉयीज़ की प्रोडक्टिविटी और उनके स्वास्थ्य की बेहतरी में खासा योगदान दिया है। साथ ही, इसने हमारे वर्कप्लेस को और भी अधिक सहयोगी और सहायक बना दिया है। हमें उम्मीद है कि हमारी पहल दूसरों को भी प्रेरित करने का कारण बनेगी।"
बायलोएप की एम्प्लॉयी मीनल रामटेके ने इस कदम से अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, "चूँकि मेंस्ट्रुएशन आज भी एक वर्जित विषय है, इसलिए मैं एक ऐसी कंपनी में काम करने के लिए खुद को बेहद भाग्यशाली समझती हूँ, जो आपके ब्रेक लेने की आवश्यकता को समझती है, वह भी उस समय, जब आप असहज महसूस कर रहे होते हैं। इससे मेरी वर्क प्रोडक्टिविटी में काफी सुधार हुआ है क्योंकि मैं इस दौरान अपनी इच्छा अनुसार छुट्टी ले सकती हूँ या घर फिर से काम कर सकती हूँ।"
बायलोएप की एक अन्य एम्प्लॉयी अपूर्वा सिंह का कहना है, "एक फीमेल एम्प्लॉयी के रूप में, इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है कि आपको और आपके मेंस्ट्रुएशन को वर्कप्लेस पर इतनी गहराई से समझा जाता है। बायलोएप की यह पहल न केवल सामाजिक बदलाव की दिशा में एक कदम है, बल्कि पूरे युवा स्टार्ट-अप और कॉर्पोरेट इंडस्ट्री के लिए सामूहिक रूप से क्रांति ला सकता है। मैं आभारी हूँ कि मैं एक ऐसी कंपनी का हिस्सा हूँ, जो इस पहल को प्रखर रखने में अग्रणी रही है।"
इस पहल को पूरे भारत में मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है और कई लोगों ने इसका विरोध भी किया है। लेकिन फीमेल एम्प्लॉयीज़ की प्रोडक्टिविटी तथा स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव सकारात्मक रहा है। इसके अलावा, इसने वर्कप्लेस के साथ-साथ कॉर्पोरेट कल्चर में जागरूकता लाने के साथ ही बड़ा बदलाव किया है। महिलाएं अपने कलीग्स तथा मैनेजमेंट के साथ अपनी समस्याओं के बारे में बात करने में अधिक सहज महसूस करती हैं। इसके विपरीत, हाल के वर्षों में कुल फीमेल एम्प्लॉयीज़ की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट देखी जा रही है। यह कॉर्पोरेट जगत के साथ-साथ पूरे देश के लिए चिंता का विषय है। इस प्रवृत्ति में बदलाव लाने के लिए इस तरह के कदम उठाए जाने की सख्त जरूरत है जो महिलाओं को समान रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें और उन्हें सहज तथा सुरक्षित महसूस कराएं।
आधुनिक युग के वर्कप्लेसेस, निश्चित रूप से पिछले एक दशक में काफी विकसित हुए हैं। इसी के साथ अब उन्हें महिलाओं की आवश्यकताओं में और अधिक समावेशी होने की जरूरत है। मेंस्ट्रुअल लीव की अवधारणा इस विषय को सर्वोपरि रखते हुए बेमिसाल पहल है, जो वर्कप्लेसेस को और अधिक मानवीय और समान बनाने में अभूतपूर्व योगदान देती है।