आइये मिलिये गेंदा और उसके परिवार से आज रात 9ः00 बजे एण्डटीवी के ‘घर एक मंदिर-कृपा अग्रसेन महाराज की‘ में


ण्डटीवी के बेहद बहुप्रतीक्षित सोशियो-ड्रामा शो, ‘घर एक मंदिर-कृपा अग्रसेन महाराज की‘ का प्रसारण आज रात 9ः00 बजे से शुरू होने जा रहा है! इस शो में महान राजा अग्रसेन महाराज के सिद्धांतों पर आधारित कहानी प्रस्तुत की गई है। भारतीय टेलीविजन पर पहली बार इस कहानी को दिखाया जा रहा है। अग्रसेन महाराज के सिद्धांत और ज्ञान आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और जिंदगी जीने का मार्गदर्शन देते हैं। इस शो में अग्रसेन महाराज के मूल सिद्धांतों को उनकी परम भक्त और शो की एक प्रमुख पात्र गेंदा (श्रेणू पारिख) के माध्यम से दिखाया जायेगा।

श्रेणू पारिख, गेंदा के रूप में गेंदा एक धार्मिक लड़की है, जिसका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ है। उसकी शादी वरूण अग्रवाल से हुई है, जोकि एक खानदानी गहनों की दुकान ‘अग्रवाल एंड सन्स‘ के मालिक कुंदन अग्रवाल का छोटा बेटा है। वरूण को मिरगी की बीमारी है। गेंदा अपने पारंपरिक मूल्यों से जुड़ी हुई है और अपने परिवार की रक्षा करने के लिये किसी भी हद तक जा सकती है। वह अग्रसेन महाराज को बहुत ज्यादा मानती है और उनमें उसकी गहरी निष्ठा है। उसने अग्रसेन महाराज के चार मूल सिद्धांतों के बारे में बचपन में सुना था और तभी से उनका पालन करती आई है। इससे गेंदा को जिंदगी की कई समस्याओं से उबरने में मदद मिली है। अग्रसेन महाराज के साथ उसका एक अनूठा और खूबसूरत रिश्ता है। वह उन्हें अपना मार्गदर्शक, दार्शनिक और सखा मानती है।  

समीर धर्माधिकारी, अग्रसेन महाराज के रूप में अग्रसेन महाराज ने व्यापारियों के अग्रवाल समुदाय की नींव रखी थी। उनके सिद्धांतों और सीखों के माध्यम से इस समुदाय को समृद्ध होने में मदद मिली। गेंदा अग्रसेन महराज की परम भक्त है और उनमें अपनी आस्था के जरिये उसने अपनी जिंदगी की कई चुनौतियों को पार किया है।

अक्षय म्हात्रे, गेंदा के पति वरूण अग्रवाल के रूप में वरूण, गेंदा का पति है। वह अग्रवाल परिवार का छोटा और सबसे लाडला बेटा है। वह अग्रवाल परिवार की ‘आंखों का तारा‘ है। वरूण एक बेपरवाह लड़का है और किसी भी तरह का तनाव लेने से कतराता है। काम के बजाय उसका पूरा दिन खुद को लाड़ करने और वीडियो गेम्स खेलने में बीतता है। जब कोई उसे लाड़-प्यार करता है, तो उसे बहुत अच्छा लगता है और वह चाहता है कि उसकी पत्नी भी उसकी अच्छे से देखभाल करे। वरूण को अपने पिता के खानदानी बिजनेस पर बहुत गर्व है। उसे लगता है कि उसका यह बिजनेस जिंदगी को आराम से गुजारने के लिये काफी है और उसे कोई दूसरी नौकरी या काम-धंधा करने की जरूरत नहीं है।

साई बल्लाल, गेंदा के ससुर कुंदन अग्रवाल के रूप में कुंदन अग्रवाल एक बिजनेसमैन है, जिसकी अग्रवाल एंड सन्स नाम से गहनों की एक खानदानी दुकान है। उनके दो बेटे हैं- मनीष और वरूण। कुन्दन एक फैमिली मैन हैं और अपने बच्चों एवं परिवार की भलाई को लेकर हमेंशा फिक्रमंद रहते हैं। वह जितना प्यार अपने परिवार वालों से करते हैं, उतना ही प्यार उन्हें गहने बनाने के अपने बिजनेस से भी है। कई पीढ़ियों से उनका परिवार गहने बनाने का काम करता आ रहा है। उनकी इच्छा है कि उनके बेटे उनके इस बिजनेस को आगे बढ़ायें। वह एक आशावादी इंसान हैं और उनकी अपनी कुछ मान्यतायें हैं, जो कभी गलत नहीं हो सकतीं।

अर्चना मित्तल, गेंदा की सास अनुराधा अग्रवाल के रूप में अनुराधा एक होममेकर है, जिसका लक्ष्य परिवार के मूल्यों को संभाल कर रखना है। वह अपने पति कुंदन अग्रवाल से बहुत प्यार करती है। वह पूरे परिवार का ख्याल रखती है और अपने घर-परिवार को चलाती है। वह चाहती है कि उसे बेटे अपने पिता की तरह ही बिजनेस मैन बनें और बहुयें उसकी तरह घर-परिवार का ध्यान रखें। उसकी अपने पारंपरिक उसूल हैं और समय के साथ वह उन्हें बदलना नहीं चाहती।  

विशाल नायक, गेंदा के जेठ मनीष अग्रवाल के रूप में मनीष, कुंदन अग्रवाल का बड़ा बेटा है। परिवार में हर किसी को उम्मीद है कि वह अपने फैमिली बिजनेस की बागडोर संभालेगा और उसे नई बुलंदियों पर ले जायेगा। वह बहुत सुशिक्षित, महत्वाकांक्षी और आधुनिक विचारों वाला व्यक्ति है। वह अपने फैमिली बिजनेस से जुड़ने के बजाय कोई काॅर्पोरेट जाॅब करना चाहता है। मनीष एक फैमिली मैन है और अपने पिता के कारोबार की इज्जत करता है। हालांकि, वह बेहद महत्वाकांक्षी भी है और कहीं-न-कहीं उसके मन में एक दबी हुई इच्छा है कि वह अपनी एक अलग पहचान बनाये। लेकिन, उसके पिता उसके सपनों और महत्वाकांक्षाओं को समझ नहीं सकते, जिसकी वजह से उसे विद्रोह करना पड़ता है।

केनिशा भारद्वाज, गेंदा की जेठानी निशा अग्रवाल के रूप में निशा, मनीष की पत्नी और गेंदा की जेठानी है। वह एक जिंदादिल इंसान है, जो अपने हंसी-मजाक से पूरे घर का माहौल खुशगवार बनाये रखती है। निशा एक छोटे शहर की लड़की है और उसके सपने एवं आकांक्षायें बड़ी हैं। वह अपने पति के सपनों को पूरा करने में उसका साथ देती है।

विवान शाह, गेंदा के भतीजे शिवम अग्रवाल के रूप में शिवम अग्रवाल एक प्यारा और चुलबुला बच्चा है। वह अपने दादा कुंदन अग्रवाल (सई बल्लाल) का लाडला है। परिवार के सभी लोग उसे खूब प्यार करते हैं, लेकिन गेंदा चाची के दिल में उसके लिये एक खास जगह है। वह उसे अग्रसेन महाराज की कहानियां सुनाती है।

यामिनी सिंह, गेंदा की मां संतोष के रूप में संतोष, गेंदा की मां है और हर मां की तरह उसे भी अपनी बेटी के भविष्य की चिंता सताती रहती है। वह चाहती है कि उसकी बेटी को जिंदगी की हर खुशी मिले। वह अपनी बेटी के गुणों और अग्रसेन महाराज में उसकी निष्ठा के बारे में बहुत अच्छे से जानती है।

देखिये ‘घर एक मंदिर-कृपा अग्रसेन महाराज की‘, आज से हर सोमवार से शुक्रवार, रात 9ः00 बजे सिर्फ एण्डटीवी पर!

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