भगवान श्री महाकाल की शाही सवारी निर्विघ्न सम्पन्न
उज्जैन। उज्जयिनी में आनंद भयो जय महाकाल की जयकारों के साथ राजाधिराज भगवान महाकाल की शाही सवारी राजसी ठाट-बाट के साथ सोमवार 22 अगस्त को अपनी प्रजा को दर्शन देने के लिए नगर भम्रण पर निकली। भगवान श्री महाकाल ने अपनी प्रजा को शाही सवारी में छः अलग-अलग रूपों में दर्शन दिये। उज्जयिनी में शाही सवारी में आये लाखों भक्तों ने भगवान श्री महाकाल के दर्शन किये।
सवारी निकलने के पूर्व सभामंडप में सम्भागायुक्त श्री संदीप यादव एवं पुलिस महानिरीक्षक श्री संतोष कुमार सिंह ने सपत्नीक भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर का पूजन-अर्चन किया। पूजन पं. श्री घनश्याम शर्मा पुजारी द्वारा सम्पन्न कराया गया। इनके अतिरिक्त श्री माखन सिंह चौहान अध्यक्ष मध्यप्रदेश तीर्थ स्थान एवं मेला विकास प्राधिकरण, श्री विभाष उपाध्याय उपाध्यक्ष मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद, श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर श्री आशीष सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री सत्येन्द्र कुमार शुक्ल, मंदिर प्रबंध समिति प्रशासक श्री गणेश कुमार धाकड़, समिति सदस्य पुजारी श्री प्रदीप गुरू, श्री राजेन्द्र शर्मा ‘गुरू’, पुजारी श्री राम शर्मा पूजन-अर्चन में सम्मिलित हुए। गणमान्यों ने पालकी को कंधा देकर नगर भ्रमण की ओर रवाना किया।
रजत जडित पालकी में भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर जी विराजित थे और पालकी के पीछे हाथी पर श्री मनमहेश जी, गरूड रथ पर श्री शिव तांडव की प्रतिमा और नंदी रथ पर श्री उमा-महेश, डोल रथ पर श्री होल्कर स्टेट का मुखारबिन्द तथा बैलगाड़ी में रथ पर सप्तधान का मुखारविन्द विराजित होकर अपने भक्तों को दर्शन देने के लिये शाही थाटबांट के साथ नगर भ्रमण पर निकले।
महाकाल मंदिर के जैसे ही पालकी मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची वहां उपस्थित सशस्त्र पुलिस बल के जवानों के द्वारा भगवान श्री चंद्रमोलीश्वर को सलामी दी गई।
पालकी के आगे घुड़सवारी दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान आदि की टुकडियां मार्च पास्ट करते हुए चल रही थी। राजाधिराज भगवान श्री महाकाल की सवारी में हजारों शिव भक्त भगवान का गुणगान करते हुए तथा विभिन्न भजन मंडलियां झांझ-मंजीरे, डमरू बजाते हुए चल रहे थे। जैसे ही पालकी भक्तों के सामने से निकली वैसे ही पालकी में विराजित श्री चन्द्रमोलेश्वर के दर्शन के लिए खडे़ भक्त भगवान के गुणगान एवं पुष्प वर्षा कर अपने आपको धन्य मान रहे थे।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के द्वारा 12 किलो से अधिक चॉदी का 12 फीट का ध्वज शाही सवारी में आगे चल रहा था।
श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी महाकाल मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए बैण्ड-बाजों, हाथी-घोड़ों एवं कड़ाबीन के धमाके के साथ रामघाट पहुंची।भगवान श्री महाकालेश्वर की पालकी के दर्शन करने के लिये वर्षा के दौरान भी अपने आराध्य की एक झलक पाने के लिए रामघाट, दत्त अखाड़ा घाट, रामानुकोट व सम्पूर्ण सवारी मार्ग पर हजारों श्रद्धालु भक्तिभाव से खड़े थे। जैसे ही पालकी घाट पर पहुंची, ‘जय महाकाल’ के उद्घोष से घाट गुंजायमान हो गया। पुलिस बैण्ड द्वारा मधुर भजनों के धुनों की प्रस्तुति से श्रद्धालु भावविभोर हो गये। रामघाट पर विश्राम देकर पालकी में विराजित श्री चंद्रमौलेश्वर का पूजन-अर्चन किया गया। रामघाट पर मां क्षिप्रा के पवित्र जल से भगवान श्री चंद्रमोलीश्वर का क्षिप्रा तट पर विधि-विधान से पूजन एवं अर्चन किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मध्यप्रदेश के जल संसाधन मंत्री श्री तुलसी सिलावट, उज्जैन के महापौर श्री मुकेश टटवाल व अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद थे।
रामघाट पर पूजन-अभिषेक के बाद शाही सवारी रामानुजकोट, बंबई वाले की धर्मशाला, गणगौर दरवाजा, खाती समाज का श्री जगदीश मंदिर, श्री सत्यनारायण मंदिर, कमरी मार्ग, टंकी चौराहा, तेलीवाडा, कंठाल, सतीमाता मंदिर, छत्री चौक, श्री गोपाल मंदिर पर पहुचेगी। जहाँ सिंधिया स्टेट द्वारा पररम्परानुसार पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमोलीश्वर का पूजन किया गया। उसके बाद सवारी पटनी बाज़ार, गुदरी चौराहा, कोट मोहल्ला, महाकाल चौराहा होते हुए पालकी रात्रि 9:40 पर मंदिर परिसर मे पहुंची।
शाही सवारी में हजारों भक्त, जन प्रतिनिधी, समाजसेवी आदि साथ चल रहे थे और भगवान महाकाल की आराधना करते हुए दिख रहे थे।